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    POETRY

    आंसू : Tears: Hindi Poetry on Love, Relations and Sorry

    आंसू : Tears: Hindi Poetry on Love, Relations and Sorry

    Tumhare girte aansu agar mein dekh leta,
    To mein ro deta.
    Vo ashq Jo meri wajah se,
    Teri aankhon se chalke honge,
    Unhe mujhse kitne gile shikve honge.
    Ek jhapki mein jab vo palkon se lipte honge,
    Nam ho gayi hogi vo palkein bhi,
    Itni mayusi se mere kisse jo use kahe honge.
    Girte girte jab vo tere chehre se takrayein honge,
    Hasi cheen li hogi unhone,
    Aur sun kar vajah, vo hoth bhi murjayein honge.
    Tumhare is dhalte chehre ko agar mein dekh leta,
    To mein ro deta.

    Kyu ki
    Aansu rishton ki vo kamayi hai,
    Jo aankhon mein sirf apno ke liye samayi hai,
    Aur tumhara Dil tod kar agar ye kamayi mein kharch kar deta,
    To mein ro deta.
    Is khayal ko mein apni soch me agar panapne deta,
    To mein ro deta.

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    POETRY

    Shart: Bond between Best Friends: Hindi Poetry

    Shart: Bond between Best Friends: Hindi Poetry

    तुम बताना मुझे, कितने दफे तुम हुए नाराज़ ,मगर दिखाया नहीं।
    दोस्ती को देकर अहमियत, कुछ जताया नहीं ।
    मैं सुनाऊंगा तुम्हें, कैसे बीते वो दिन जब तुम दिखे नहीं,
    और वो दिन भी,
    जब तुम दिखे सही, मगर रहे चेहरे फीके कहीं ।

    तुम मुझे बताना, मेरे पीछे से हुई कितनी बार तुम्हें मेरी फिक्र,
    में सुनाऊंगा तुम्हारे बिन हुए तुम्हारे कितने जिक्र ।

    तुम मुझे बताना की और दोस्तों के संग,
    जब हुई तुम्हें महसूस कमी मेरी,
    में सुनाऊंगा तुम्हारे पीछे से लिखी गई,
    तुम पर ही शेर ओ शायरी मेरी

    तुम बताना की झगड़े के बाद कितनी बार,
    नौकरी छोड़ने का खयाल आया ।
    मैं तुम्हें सुनाऊंगा की नौकरी छोड़ने की सोच कर,
    कितनी बार तुम्हारा खयाल आया।

    ये सुन, हम थम जायेंगे,
    आगे कुछ न जताएंगे,
    और
    एक एक गरम चाय
    एक दूजे को पिलाएंगे।

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    Amrita Pritam aur Tum: Self Love: Hindi Poetry

    Amrita Pritam aur Tum: Self Love: Hindi Poetry

    जब दिन थका हो और रातें सहमी हो
    सुस्त सा हो मौसम और अंदर बेचैनी हो,
    अंधेरा जब अक्स छुपाए
    आईना कोई छवि न दिखाए,

    तब बिस्तर के बगल में रखा,
    वो लैंप जला लेना,
    जिसपर लगी अमृता प्रीतम की तस्वीर,
    बगल में रखी फोटो फ्रेम पर एक रोशनी डालेगी,
    जिसपर, अल्फाज़ ऐ जोगी लिखा होगा ।
    अमृता की रोशनी में जब,
    तुम उस तस्वीर के शब्दों में खुद को पढ़ोगी
    तो जान जाओगी की ,
    तुम हो कौन।

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    Hindi Poetry – ये शाम मस्तानी – An Evening to Remember l Nostalgia l Memories l Love

    ये शाम मस्तानी – An Evening to Remember l Nostalgia l Memories

    वो मद्धम सी रोशनी से,
    सजी सर्द सांजे,
    वो घरौंदे में अपने,
    एक महफिल सजाना,

    वो अलाव के चारों ओर,
    जाम थामे,
    वो रंगीन चिरागों का,
    झूमर लगाना,
    वो अपनों का अपनों के,
    करीब आकर,
    वो गिले शिकवों को याद कराना,
    फिर, ढलते सूरज की तरह, जसबात ढालके

    भूलाने के उनको, वो वादे करना,
    बीत गया एक अरसा,
    जो बिन मिले,
    उस अरसे को,
    कुछ घंटों में,
    फिर हासिल करना,

    लगें है सब,
    दिल के प्यालों को भरने,
    अपनी यादों को,
    जाम से बयान करने,

    वो छठ पर बैठे,
    मोर का कुहकना,
    वो धीमी सी धुन पर,
    कोई गीत बजाना,

    वो सुनाऊं मैं तुमको,
    अपनी कोई शायरी,
    सुनके उसे तुम,
    मेरा कोई शेर गुन गुनाना,
    क्या चाइए हमे इस से बेहतर कोई शामें,
    जहां हम तुम,
    यूंही,
    एक गजल हो जाएं ।

    By Ramta Jogi

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    Hindi Poetry l Saas- Bahu l सास बहू l Relationship

    सास बहू

    घर है मांझी, मंजिल किनारा,
    सास बहू , वो नाव, पतवार,
    कैसे पहुंचे वो मांझी, किनारे,
    नाव पतवार पर सब दारमदार ।

    मां की छाया, ढूंढे सास में,
    मां की डांट, मगर ना कड़वी लगे,
    सास जो अपनाए, सख्ती थोड़ी,
    वो मां जैसी, उसे ना अपनी लगे।

    बिटिया बुलाए, वो सास बहू को,
    बिटिया की याद मगर वो दिलाए नहीं ।
    जननी जिसकी वो सास, उसकी कई गलतियां माफ़,
    बहु की अक्सर वो ४ गलतियां भी चलाए नहीं ।

    खुश हो दिल से, वो सास बहू से,
    चेहरे पर वो खुशी, नजर आए नहीं ।
    बहू ढूंढे अपनापन शब्दों में,
    वो सास का प्यार, उसे समझाए नहीं ।

    माने मां सी, वो बहू सास को,
    बिटिया सी वो टोके,
    “बहू ने टोका तो टोका केसे?”
    मां में सास वो फिर लौट आए ।

    एक थाली में सजी हुई,
    ये एक चमच और कटोरी है,
    खनके तो शोर करे ये,
    मगर अक्सर परोसे ये खीर पूरी है,
    बिखरे नहीं उस थाली में कुछ,
    इस लिए, इनका संग होना जरूरी है ।

    सास बहू का अपना होना,
    सास बहू का सपना है,
    जो मानो तो ये अपना है,
    ना मानो तो ये सपना है ।

    Written by @ramtajogi

    Image Courtesy: Hindustan Times

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