• ai generated, couple, lovers-8121001.jpg
    POETRY

    Hindi Poetry: बेवफाई :Infidelity: The Shade of Love

    Hindi Poetry: बेवफाई: Infidelity

    हो वजह से ये,
    तो फिर फरेब क्यों?
    जो हो बे वजह,
    तो फिर इसकी सज़ा है क्या?
    नैनों में भरे, जो कोई इश्क की नजर,
    और लभों पर हो, किसी और रिश्ते की ज़बान,
    इस एक काया में इंसान की,
    जो हर एक अंग करे, अपना फैसला,
    तो फिर एक रिश्ता हो स्वीकार क्यों?
    और दूजा रहे क्यों गुमशुदा?

    अगर बात हो जज़्बात की,
    इश्क के हालत की,
    डोर ७ फेरों की,
    जब नर्म सी पड़ जाए,
    एक दूजे के भीतर जब,
    एक दूजा न मिल पाए,
    होठों की हसी से हटकर,
    लकीरें, चेहरे की शिकन बन जाए,
    बिस्तर पर न हो सिलव्वतें कोई,
    चादर भी जब कोई कहानी न कह पाए
    बहक जाने की नीव जब,
    घर के भीतर ही रख दी जाए,
    तो बेवफाई पर हो एतराज क्यों?
    और रहे जो कोई वफादार,
    तो फिर इसकी वजह है क्या?

    वफा जब एक इश्क पर,
    सीमित न रह पाए,
    आशिकी की गलियों में,
    जब बे वजह टहला जाए,
    डोर में पुरानी गांठ खोले बिन,
    कई नए धागे जोड़े जाएं
    न हो राबता किसी एक हुस्न, जिस्म या रूह से,
    वास्ता मगर हर चेहरे से किया जाए,
    जब दिल के कमरों से होकर,
    घर का रास्ता न मिल पाए,
    हर मुंडेर पर जब,
    किराए के मकानों में रहना ही समझ आए,

    इस स्वभाव से फिर हो लगाव क्यों?
    और हो कोई सजा इसकी, तो गलत है क्या?

    बे वफाई के नियम तय करें कौन?
    वफा के कसीदे कौन समझाए?
    जब रिश्तों की मर्यादा लांघे बिन,
    सोच में कोई और समा जाए ।

    वजह तो होगी बहोत सी उसके पास,
    मगर क्या किसी वजह को समझा जाए ?

    बात जसबतों की जब होती है,
    रिश्ते रहते है महफूज नजरों में सभी के,
    मगर आंखें कुछ और कहती हैं ।

    जिसको जो समझ आता है,
    वो अपने नियम बनाता है,

    हो कोई इंसान सच्चा अगर,
    तो एक रिश्ते को चलाने में ही,
    वो उम्र भर टूट जाता है ।

    Written by @ramtajogi

    Images by WordPress

    For more poetry, please visit, Ramta Jogi

  • Gate Pic Courtesy: rhythum-soni
    POETRY

    Hindi Poem: घर की दीवारें: The Deaf walls

    Hindi Poem: घर की दीवारें: The Deaf walls

    मेरे घर की दीवारों के कान नहीं है ,
    अंदर-बाहर की बातें, उन्हें सुनती नहीं।

    चीखें, सिमट कर रह जाती है, भीतर मन में कहीं ,
    पड़ोस तक उनकी भनक, जाती नहीं ।
    दर्द हमारे, आपस में एक दूसरे को सहला लेते हैं ,
    आसूं, आंखों से गिर, तकियों में जा, सो जाते हैं,

    घरवाले मेरे बतियाते ही हैं इतना कम,
    की आइने को भी उनकी शिकन दिखलाती नहीं ।


    एक वक्त था जो बीत चुका है, दीवार पर लगी घड़ी वो कहती है रोज़,
    मगर मेरे घरवालों की आंखें उस बात को अपनाती नहीं ।

    हम लोग,
    एक घर में,
    यूं रहते हैं,

    की लगता है,

    शायद,
    उन दीवारों के कान तो है बेशक,
    मगर उन्हें सुनाने को,
    हम लोगों के पास,
    कोई बातें नहीं ।

    Written by @ramtajogi

    For more such pieces, follow Ramta Jogi

    Comments Off on Hindi Poem: घर की दीवारें: The Deaf walls
  • Cute girl: Bhg Ja
    POETRY

    Hindi Poetry: Bhg Ja: Childish Poem: ramtajogi. co. in

    Bhg Ja

    मेरी किसी कहानी के
    कोई किस्से में,
    अगर किन्हीं पन्नों के बीच,
    तुम्हें तुम जैसा कोई किरदार,
    नजर आए,
    मगर,
    यकीन ना हो पाए,
    की वो तुम ही हो या नहीं,
    तो पन्नों को आगे पीछे ,
    टटोल मटोल कर देखना,
    अगर कहीं
    किसी कोने में ,
    “भग जा”
    लिखा नजर है आए,
    तो खुदके चहरे की
    हसीं देख,
    समज जाना,
    तुम ही हो।

    Written by @ramtajogi

    Image courtesy: Freepik

    For more such poems, visit Ramta Jogi Poetry

    Comments Off on Hindi Poetry: Bhg Ja: Childish Poem: ramtajogi. co. in
  • Ishq Be-parwah
    Uncategorized

    Hindi Poetry: Ishq Be-parwah: ramtajogi.co.in

    Ishq Be-parwah

    प्यार खुल कर वो दिखाता नहीं है,
    और अपने अंदर छुपाता भी नहीं है

    शायरी लिख, करता है तारीफ मेरी,
    आंखों से मगर जता ता भी नहीं है।

    बिन मौसम बारिश सा है, महबूब मेरा,
    धूप में बरसता है, भिगाता भी नहीं है ।

    खयाल में हूं में उसके,
    ये तो मालूम हैं मुझे,

    इश्क को ख्याल में ही रखता है,
    हकीकत में लाता भी नहीं है ।

    प्यार खुल कर वो दिखाता नहीं है,
    और अपने अंदर छुपाता भी नहीं है

    Written by @ramtajogi

    For quotes, please visit Ramta Jogi Quotes

    For articles, please visit, Ramta Jogi Blogs

    Image courtesy: Dreamstime

    Comments Off on Hindi Poetry: Ishq Be-parwah: ramtajogi.co.in
  • Pic Courtesy: Marvel Optics Aankhein aur Kitaab (Literature and Love)
    POETRY

    Hindi Poetry: Aakhein aur Kitaab (Literature and Love): ramtajogi.co.in

    Aakhein aur Kitaab (Literature and Love)

    जो झुके वो नजर,
    तो हया की शायरी कहे,

    जो उठे,
    तो वो खुदा की गजल बन जाए ।

    जो हस पड़ें वो नजरें कहीं,
    तो खुशी के कसीदे सुनाए,

    और जो रो पड़े,
    तो वो इश्क का शेर बन जाए ।

    हर एक अदा,
    उसकी आंखों की,
    एक कहानी सी कहती है,

    उसके आशिक ने सच ही कहा था,
    उसकी आंखें,
    किताब सी है ।

    For more poems, visit Ramta Jogi

    For columns, visit Ramta Jogi – Columns

    Picture Courtesy: MarvelOptics

    Comments Off on Hindi Poetry: Aakhein aur Kitaab (Literature and Love): ramtajogi.co.in
Follow us

Subscribe