POETRY
Poems- Poetry- Hindi - English Life never rhymes, but poetry does. It soothes our hearts. Sometimes medicine and sometimes a meditation; poetry never fails to impress. This segment comprises of poetry by Ramta Jogi. It deals with Hindi and English languages Check out my other pages
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Unrequited Love l Hindi Poem l ramtajogi.co.in
Hindi Poetry l Unrequited Love l ramtajogi.co.in
चल किसी कहानी का
एक पन्ना लिखते हैं
और उसे वहीं,
उस पन्ने की
आखिरी लकीर पर
लाकर,
अधूरा,
खुला
छोड़ देते हैं ।जो उसे
जब पढ़ेगा,
उस कहानी को ,
अपनी जबान में,
अपनी सोच से,
अपने आप जैसी बना लेगा,
और खुश रहेगा ।@ramtajogi
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Image courtesy: Istock Photo
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The relationship in the times of Social Media: Hindi Poetry: ramtajogi.co.in
The relationship in the times of Social Media
वो एक घर के,
दो कमरों में,
दो चेहरों की आंखों में,
झलक रही है ,
फोन की स्क्रीन,
की जिसमे चल रहा है,
एक नाटक,
जो की तुमको,
तुम्हारी ही कहानी से,
दूर लेके कहीं जा रहा है।की जिसमे भ्रम दिखाया जा रहा है,
की है ये दुनिया खुश बहोत,की जिसमे दर्द बांटा जा रहा है ,
की है ये सब विनाश की और,वो दो चेहरे,
हर दर्द की खबर को नकार के,
उसे अफवाह मान, स्वीकार के,
उन खुश चेहरों में अपनी नाकामी ढूंढते है ,
“लाइक” कर उन तस्वीरों को,
खुद को ” अनलाइक” करते घूमते है ,इस फोन की दुनिया से लौटेकर जब,
वो हकीकत में आते है,
थकी इन आंखों को आराम देने,
फिर आंखें मूंद सो जाते है,
इसी बहाने,
एक भ्रम से दूजे सपने में
वो दोनो चेहरे खो जाते है,वो एक कमरे के दो चेहरे,
एक दूजे को देखना,कहीं भूल गए हैं।
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Picture courtesy : Adobe Stock
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Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
वो किवाड़ों पर रंग अब नया है,
खिड़कियों में कुंडी भी लग गई।
बगीचे में बो दिए है बीज आम के,
वो खंडर सी जो थी दीवारें,
वो भी अब सज गई ।वो गांव का घर अब रहने को तैयार है ,
मगर उसमे रहने वाला नहीं रहा ।उस घर को अब जरूरत है लोगों की,
मगर उस घर की जरूरत अब रहीं कहां?Written by @ramtajogi
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Image courtesy Art Station
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Hindi Poetry: Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version
“Mein tumhe fir milungi”: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version
मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
कब, कहां मालूम नहीं
शायद तुम्हारी गजलों की वजह बनकर,
तुम्हारे शेरों में नजर आऊंगी,
या तुम्हारे किस्सों का स्रोत बनकर,
तुम्हारी कहानी बन जाऊंगी।
या तुम्हारी ज़बान का लहजा बनूंगी मैं,
जिसमे तुम शेर फरमाओगे
में तुम्हें फिर मिलूंगी
कब, कहां, मालूम नहीं।मैं तुम्हारी कलम की स्याही बनूंगी शायद,
और तुम्हारे पन्नों पर उतर जाऊंगी ।
या तुम्हारी मेज पर रखी किताब का,
हर एक पन्ना बन जाऊंगी ।
तुम लिखोगे मुझे, मुझमें
में तुम्हारे हर शब्द की लिखावट बन जाऊंगी ।
मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
कब, कहां मालूम नहींऔर कुछ मालूम न हो,
मगर ये जानती हूं मैं,
मैं तुम्हारे खयालों का वो अंश हूं,
जिस से तुमने एक उम्मीद बांधी है,
दर्द की,
मैं वो दर्द बन, तुम में रह जाऊंगी कहीं,
तुम्हारी हर एक लिखाई के अंत का,
एक अल्प विराम बन जाऊंगी मैं,
जो तुम्हें महसूस करवा दे,
की
मुझे लिख तो चुके हो तुम,
मगर मैं कहानी आज भी अधूरी हुं,
तुम्हारे लिए,
मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
कब, कहां मालूम नहीं@ramtajogi
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Poetry inspired from Amrita Pritams’ Me tenu fir milangi
Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi
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Hindi Poetry: Ishq aur Waqt
Ishq aur Waqt
चल इश्क को एक मौका देते हैं,
होने का,
उसे दिन भर की बातें बताने में,
बांधते नहीं है,
उसे देर रात तक,
जगा कर नहीं रखते,
बे वजह,
उसे सोने देते हैं,
क्या पता,
सपनों में,
ये इश्क और ज्यादा,
सुंदर दिखे ।चल इश्क को एक मौका देते हैं,
होने का,
इसे मिलने की वजह नहीं बनाते,
इसे खुशी का जरिया नहीं बताते ,
लोगों की बातों से दूर रखते हैं इसे,
इसे चर्चा का विषय नहीं बनाते,
महफूज रखते हैं इसे,
अपने अंदर कहीं,
जैसे हकीकत रखती है,
सपनों को lचल इश्क को एक मौका देते हैं,
होने का,
इसे हर एक पल में जीते हैं,
हसी में तोलते हैं,
रिश्तों की बातें न कर के,
समय के दायरे में न बांध कर,
इसे जसबातों में मोलते हैं,
क्या पता,
कभीं कहीं,
किसी मोड़ पर,
ये जज़्बात ही ,
साथ जीने की,
वजह बन जाए ।चल इश्क को एक मौका देते हैं,
होने का,Ishq aur Waqt – Written by @ramtajogi
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