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The relationship in the times of Social Media: Hindi Poetry: ramtajogi.co.in
The relationship in the times of Social Media
वो एक घर के,
दो कमरों में,
दो चेहरों की आंखों में,
झलक रही है ,
फोन की स्क्रीन,
की जिसमे चल रहा है,
एक नाटक,
जो की तुमको,
तुम्हारी ही कहानी से,
दूर लेके कहीं जा रहा है।
की जिसमे भ्रम दिखाया जा रहा है,
की है ये दुनिया खुश बहोत,
की जिसमे दर्द बांटा जा रहा है ,
की है ये सब विनाश की और,
वो दो चेहरे,
हर दर्द की खबर को नकार के,
उसे अफवाह मान, स्वीकार के,
उन खुश चेहरों में अपनी नाकामी ढूंढते है ,
“लाइक” कर उन तस्वीरों को,
खुद को ” अनलाइक” करते घूमते है ,
इस फोन की दुनिया से लौटेकर जब,
वो हकीकत में आते है,
थकी इन आंखों को आराम देने,
फिर आंखें मूंद सो जाते है,
इसी बहाने,
एक भ्रम से दूजे सपने में
वो दोनो चेहरे खो जाते है,
वो एक कमरे के दो चेहरे,
एक दूजे को देखना,
कहीं भूल गए हैं।
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