Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
वो किवाड़ों पर रंग अब नया है,
खिड़कियों में कुंडी भी लग गई।
बगीचे में बो दिए है बीज आम के,
वो खंडर सी जो थी दीवारें,
वो भी अब सज गई ।
वो गांव का घर अब रहने को तैयार है ,
मगर उसमे रहने वाला नहीं रहा ।
उस घर को अब जरूरत है लोगों की,
मगर उस घर की जरूरत अब रहीं कहां?
Written by @ramtajogi
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Image courtesy Art Station