Ishq Be-parwah
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Ishq Be-parwah

प्यार खुल कर वो दिखाता नहीं है,
और अपने अंदर छुपाता भी नहीं है

शायरी लिख, करता है तारीफ मेरी,
आंखों से मगर जता ता भी नहीं है।

बिन मौसम बारिश सा है, महबूब मेरा,
धूप में बरसता है, भिगाता भी नहीं है ।

खयाल में हूं में उसके,
ये तो मालूम हैं मुझे,

इश्क को ख्याल में ही रखता है,
हकीकत में लाता भी नहीं है ।

प्यार खुल कर वो दिखाता नहीं है,
और अपने अंदर छुपाता भी नहीं है

Written by @ramtajogi

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Image courtesy: Dreamstime

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