POETRY
Poems- Poetry- Hindi - English Life never rhymes, but poetry does. It soothes our hearts. Sometimes medicine and sometimes a meditation; poetry never fails to impress. This segment comprises of poetry by Ramta Jogi. It deals with Hindi and English languages Check out my other pages
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Hindi Poem – दोस्ती | The pinnacle of Friendship
Hindi Poem – दोस्ती | The pinnacle of Friendship
मुझसे खफा तो होती है वो अक्सर,
दिखाती आंखों से, मगर
ज़बान तक लाती नहीं ।हक से निभाती है साथ वो,
लफ्जों से कभी बताती नहीं ।परिवार सा रखती है ध्यान,
अकेले पड़ जाऊं कभी तो,
और भीड़ में शरारत भी करती है ऐसे,
की कमी दुश्मनों की दिलाती नहीं ।रिश्तों का परिमाण है वो,
उस से बेहतर दोस्ती,
मैंने मापी नहीं ।Written by @ramtajogi
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Image Courtesy: Anime
#Friends, #Friendship
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Hindi Poetry: बेवफाई :Infidelity: The Shade of Love
Hindi Poetry: बेवफाई: Infidelity
हो वजह से ये,
तो फिर फरेब क्यों?
जो हो बे वजह,
तो फिर इसकी सज़ा है क्या?
नैनों में भरे, जो कोई इश्क की नजर,
और लभों पर हो, किसी और रिश्ते की ज़बान,
इस एक काया में इंसान की,
जो हर एक अंग करे, अपना फैसला,
तो फिर एक रिश्ता हो स्वीकार क्यों?
और दूजा रहे क्यों गुमशुदा?अगर बात हो जज़्बात की,
इश्क के हालत की,
डोर ७ फेरों की,
जब नर्म सी पड़ जाए,
एक दूजे के भीतर जब,
एक दूजा न मिल पाए,
होठों की हसी से हटकर,
लकीरें, चेहरे की शिकन बन जाए,
बिस्तर पर न हो सिलव्वतें कोई,
चादर भी जब कोई कहानी न कह पाए
बहक जाने की नीव जब,
घर के भीतर ही रख दी जाए,
तो बेवफाई पर हो एतराज क्यों?
और रहे जो कोई वफादार,
तो फिर इसकी वजह है क्या?वफा जब एक इश्क पर,
सीमित न रह पाए,
आशिकी की गलियों में,
जब बे वजह टहला जाए,
डोर में पुरानी गांठ खोले बिन,
कई नए धागे जोड़े जाएं
न हो राबता किसी एक हुस्न, जिस्म या रूह से,
वास्ता मगर हर चेहरे से किया जाए,
जब दिल के कमरों से होकर,
घर का रास्ता न मिल पाए,
हर मुंडेर पर जब,
किराए के मकानों में रहना ही समझ आए,इस स्वभाव से फिर हो लगाव क्यों?
और हो कोई सजा इसकी, तो गलत है क्या?बे वफाई के नियम तय करें कौन?
वफा के कसीदे कौन समझाए?
जब रिश्तों की मर्यादा लांघे बिन,
सोच में कोई और समा जाए ।वजह तो होगी बहोत सी उसके पास,
मगर क्या किसी वजह को समझा जाए ?बात जसबतों की जब होती है,
रिश्ते रहते है महफूज नजरों में सभी के,
मगर आंखें कुछ और कहती हैं ।जिसको जो समझ आता है,
वो अपने नियम बनाता है,हो कोई इंसान सच्चा अगर,
तो एक रिश्ते को चलाने में ही,
वो उम्र भर टूट जाता है ।Written by @ramtajogi
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Hindi Poem: घर की दीवारें: The Deaf walls
Hindi Poem: घर की दीवारें: The Deaf walls
मेरे घर की दीवारों के कान नहीं है ,
अंदर-बाहर की बातें, उन्हें सुनती नहीं।चीखें, सिमट कर रह जाती है, भीतर मन में कहीं ,
पड़ोस तक उनकी भनक, जाती नहीं ।
दर्द हमारे, आपस में एक दूसरे को सहला लेते हैं ,
आसूं, आंखों से गिर, तकियों में जा, सो जाते हैं,घरवाले मेरे बतियाते ही हैं इतना कम,
की आइने को भी उनकी शिकन दिखलाती नहीं ।
एक वक्त था जो बीत चुका है, दीवार पर लगी घड़ी वो कहती है रोज़,
मगर मेरे घरवालों की आंखें उस बात को अपनाती नहीं ।हम लोग,
एक घर में,
यूं रहते हैं,की लगता है,
शायद,
उन दीवारों के कान तो है बेशक,
मगर उन्हें सुनाने को,
हम लोगों के पास,
कोई बातें नहीं ।Written by @ramtajogi
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Hindi Poetry: Bhg Ja: Childish Poem: ramtajogi. co. in
Bhg Ja
मेरी किसी कहानी के
कोई किस्से में,
अगर किन्हीं पन्नों के बीच,
तुम्हें तुम जैसा कोई किरदार,
नजर आए,
मगर,
यकीन ना हो पाए,
की वो तुम ही हो या नहीं,
तो पन्नों को आगे पीछे ,
टटोल मटोल कर देखना,
अगर कहीं
किसी कोने में ,
“भग जा”
लिखा नजर है आए,
तो खुदके चहरे की
हसीं देख,
समज जाना,
तुम ही हो।Written by @ramtajogi
Image courtesy: Freepik
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Hindi Poetry: Aakhein aur Kitaab (Literature and Love): ramtajogi.co.in
Aakhein aur Kitaab (Literature and Love)
जो झुके वो नजर,
तो हया की शायरी कहे,जो उठे,
तो वो खुदा की गजल बन जाए ।जो हस पड़ें वो नजरें कहीं,
तो खुशी के कसीदे सुनाए,और जो रो पड़े,
तो वो इश्क का शेर बन जाए ।हर एक अदा,
उसकी आंखों की,
एक कहानी सी कहती है,उसके आशिक ने सच ही कहा था,
उसकी आंखें,
किताब सी है ।For more poems, visit Ramta Jogi
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