Yaadein | Hindi Poetry
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Yaadein | Hindi Poetry

Yaadein | Hindi Poetry

देखि  नहीं  एक  अरसे  से  उसकी  तस्वीर  कहीं,

न  खनकी  इन  कानो  में  उसकी  आवाज़  कहीं ,

लगता  है  वो  रूह , अब  रूमानी  हो  गई  होगी,

झल्ली  सी  थी  वो  पगली , अब  सयानी  हो  गई  होगी .

सुनके   उसे  आज  भी , सबके  चेहरे खिल  जाते  होंगे,

वो  मुस्कुराहट अब  लोगों  को  और  रिझाति  होगी .

घुंघराली  उसकी  ज़ुल्फें  , आज  भी  उसे  झुंझलाती  होगी,

उन्हें  बांध  के  जुड़ा  बनाने  की  समझ , पर  अब  उसने  पा ली  होगी .

खुद पे  इतराना , उसे  अभ  भी  भाता  होगा ,

पर  वो  झुकी  नज़रों  की  हया , अब  उसने  अपना  ली  होगी .

प्यार  जताना  उसे  अब  भी  नहीं  आता  होगा ,

किसी  को  दिल  से  अपना  के , इश्क़  की  समझ  उसने  ज़रूर पा ली  होगी .

सजने  संवरने  से  उसको  आज  भी  तौबा  होगी ,

पर  किसी  की  ख़ुशी  के  लिए , वो  माथे  पे  बिंदिया  ज़रूर  चमकाती   होगी .

जो  छूट  गया , वो   कल  उसे  याद  तो  आता  होगा ,

पर  उस  नमी  को  अब  वो  अपने  नैनो  में छुपाती  होगी .

मेरी  कहानियों  की  तरह , ज़िन्दगी  अधूरी  नहीं  होगी  अब  उसकी ,

मेरे   शब्दों   की  तरह , अब  वो  एक   मुक्कमल  कहानी  हो गई  होगी.

@रमता जोगी

Yaadein | Hindi Poetry

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