• Gate Pic Courtesy: rhythum-soni
    POETRY

    Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi

    Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi

    वो किवाड़ों पर रंग अब नया है,
    खिड़कियों में कुंडी भी लग गई।
    बगीचे में बो दिए है बीज आम के,
    वो खंडर सी जो थी दीवारें,
    वो भी अब सज गई ।

    वो गांव का घर अब रहने को तैयार है ,
    मगर उसमे रहने वाला नहीं रहा ।

    उस घर को अब जरूरत है लोगों की,
    मगर उस घर की जरूरत अब रहीं कहां?

    Written by @ramtajogi

    For more such content, scroll through Ramta Jogi

    Image courtesy Art Station

    Comments Off on Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
  • Amrita Pritam
    POETRY

    Hindi Poetry: Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version

    Mein tumhe fir milungi”: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version

    मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
    कब, कहां मालूम नहीं
    शायद तुम्हारी गजलों की वजह बनकर,
    तुम्हारे शेरों में नजर आऊंगी,
    या तुम्हारे किस्सों का स्रोत बनकर,
    तुम्हारी कहानी बन जाऊंगी।
    या तुम्हारी ज़बान का लहजा बनूंगी मैं,
    जिसमे तुम शेर फरमाओगे
    में तुम्हें फिर मिलूंगी
    कब, कहां, मालूम नहीं।

    मैं तुम्हारी कलम की स्याही बनूंगी शायद,
    और तुम्हारे पन्नों पर उतर जाऊंगी ।
    या तुम्हारी मेज पर रखी किताब का,
    हर एक पन्ना बन जाऊंगी ।
    तुम लिखोगे मुझे, मुझमें
    में तुम्हारे हर शब्द की लिखावट बन जाऊंगी ।
    मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
    कब, कहां मालूम नहीं

    और कुछ मालूम न हो,
    मगर ये जानती हूं मैं,
    मैं तुम्हारे खयालों का वो अंश हूं,
    जिस से तुमने एक उम्मीद बांधी है,
    दर्द की,
    मैं वो दर्द बन, तुम में रह जाऊंगी कहीं,
    तुम्हारी हर एक लिखाई के अंत का,
    एक अल्प विराम बन जाऊंगी मैं,
    जो तुम्हें महसूस करवा दे,
    की
    मुझे लिख तो चुके हो तुम,
    मगर मैं कहानी आज भी अधूरी हुं,
    तुम्हारे लिए,
    मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
    कब, कहां मालूम नहीं

    @ramtajogi

    For more such works, visit Ramta Jogi

    Poetry inspired from Amrita Pritams’ Me tenu fir milangi

    Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi

    Comments Off on Hindi Poetry: Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version
  • Picture by Depositphotos
    POETRY

    Hindi Poetry: Ishq aur Waqt

    Ishq aur Waqt

    चल इश्क को एक मौका देते हैं,
    होने का,
    उसे दिन भर की बातें बताने में,
    बांधते नहीं है,
    उसे देर रात तक,
    जगा कर नहीं रखते,
    बे वजह,
    उसे सोने देते हैं,
    क्या पता,
    सपनों में,
    ये इश्क और ज्यादा,
    सुंदर दिखे ।

    चल इश्क को एक मौका देते हैं,
    होने का,
    इसे मिलने की वजह नहीं बनाते,
    इसे खुशी का जरिया नहीं बताते ,
    लोगों की बातों से दूर रखते हैं इसे,
    इसे चर्चा का विषय नहीं बनाते,
    महफूज रखते हैं इसे,
    अपने अंदर कहीं,
    जैसे हकीकत रखती है,
    सपनों को l

    चल इश्क को एक मौका देते हैं,
    होने का,
    इसे हर एक पल में जीते हैं,
    हसी में तोलते हैं,
    रिश्तों की बातें न कर के,
    समय के दायरे में न बांध कर,
    इसे जसबातों में मोलते हैं,
    क्या पता,
    कभीं कहीं,
    किसी मोड़ पर,
    ये जज़्बात ही ,
    साथ जीने की,
    वजह बन जाए ।

    चल इश्क को एक मौका देते हैं,
    होने का,

    Ishq aur Waqt – Written by @ramtajogi

    For more such works, visit Ramta Jogi website.

    Comments Off on Hindi Poetry: Ishq aur Waqt
  • Seema | Seema | सीमा - ramtajogi.co.in
    POETRY

    Seema | सीमा – Boundaries in a Relationship

    Seema | सीमा – Boundaries in a Relationship

    हर रिश्ते की सीमा क्या है?
    लक्ष्मण रेखा इसकी कौन धरे?
    किस लकीर तक हम सीमित हो?
    किस रेखा को वो ना पार करे?
    हर रिश्ते की सीमा क्या है?

    अपनेपन की प्रीत नेक है,
    मगर प्रीत सही वो,
    जो सही जाए।
    मेरी हद मैं जानु,
    तेरी हद तु जाने,
    मगर उनके बीच हो कितना फासला?
    वो कैसे तय किया जाए?
    हर रिश्ते की सीमा क्या है?

    सोच गलत भले न हो,
    हाव भाव की बात है,
    सही गलत का फैसला,
    सबके अपने खयालात है।
    धागा बुनो जैसा रिश्तों का,
    रिश्ते वैसे ही नजर आएंगे,
    सीमा तय होगी,
    जो दोनों तरफ से,
    तो रिश्ते लंबे चलते जायेंगे ।

    @ramtajogi

    For such Poetry, click Ramta Jogi Poetry

    For a good read, Subscribe, Ramta Jogi

    Comments Off on Seema | सीमा – Boundaries in a Relationship
  • Sarkar Aur Hum | Sushant Rhea aur Kangana
    POETRY

    Youtube Video: Sarkar Aur Hum | Sushant Rhea aur Kangana OR Corona, GDP and Border

    Sarkar Aur Hum | Sushant Rhea aur Kangana

    What is more important for the country?

    Is it Drugs? Rhea? Kangana? Sushant? OR

    COVID? GDP? Farmer Suicide? and BORDER Issues?

    Are we intentionally ignoring these issues or we are made to ignore them?

    I respect the emotions of people but it is better not to ignore the real issues lying at our end. People are losing jobs and COVID cases are increasing day by day. It is better if some attention is given to this debate too. Let us not get deceive by our emotions in not highlighting the core issues of the country. This poem is a take on such issues. #Kangana #Rhea #Sushant #GDP #Corona #Border

    Facebook: https://www.facebook.com/ramtajogi20

    Instagram: https://www.instagram.com/ramtajogi20

    For more poetry, @ Ramta Jogi Poetry

    SUBSCRIBE TO THIS CHANNEL HERE: https://www.youtube.com/AakashJoshi

    Background Music: iMovie / GarageBand

    Sarkar Aur Hum | Sushant Rhea aur Kangana

    Comments Off on Youtube Video: Sarkar Aur Hum | Sushant Rhea aur Kangana OR Corona, GDP and Border
Follow us

Subscribe