-
Hindi Poetry: Aakhein aur Kitaab (Literature and Love): ramtajogi.co.in
Aakhein aur Kitaab (Literature and Love)
जो झुके वो नजर,
तो हया की शायरी कहे,जो उठे,
तो वो खुदा की गजल बन जाए ।जो हस पड़ें वो नजरें कहीं,
तो खुशी के कसीदे सुनाए,और जो रो पड़े,
तो वो इश्क का शेर बन जाए ।हर एक अदा,
उसकी आंखों की,
एक कहानी सी कहती है,उसके आशिक ने सच ही कहा था,
उसकी आंखें,
किताब सी है ।For more poems, visit Ramta Jogi
For columns, visit Ramta Jogi – Columns
Picture Courtesy: MarvelOptics
-
Unrequited Love l Hindi Poem l ramtajogi.co.in
Hindi Poetry l Unrequited Love l ramtajogi.co.in
चल किसी कहानी का
एक पन्ना लिखते हैं
और उसे वहीं,
उस पन्ने की
आखिरी लकीर पर
लाकर,
अधूरा,
खुला
छोड़ देते हैं ।जो उसे
जब पढ़ेगा,
उस कहानी को ,
अपनी जबान में,
अपनी सोच से,
अपने आप जैसी बना लेगा,
और खुश रहेगा ।@ramtajogi
For more poems, visit Ramta Jogi
Image courtesy: Istock Photo
-
The relationship in the times of Social Media: Hindi Poetry: ramtajogi.co.in
The relationship in the times of Social Media
वो एक घर के,
दो कमरों में,
दो चेहरों की आंखों में,
झलक रही है ,
फोन की स्क्रीन,
की जिसमे चल रहा है,
एक नाटक,
जो की तुमको,
तुम्हारी ही कहानी से,
दूर लेके कहीं जा रहा है।की जिसमे भ्रम दिखाया जा रहा है,
की है ये दुनिया खुश बहोत,की जिसमे दर्द बांटा जा रहा है ,
की है ये सब विनाश की और,वो दो चेहरे,
हर दर्द की खबर को नकार के,
उसे अफवाह मान, स्वीकार के,
उन खुश चेहरों में अपनी नाकामी ढूंढते है ,
“लाइक” कर उन तस्वीरों को,
खुद को ” अनलाइक” करते घूमते है ,इस फोन की दुनिया से लौटेकर जब,
वो हकीकत में आते है,
थकी इन आंखों को आराम देने,
फिर आंखें मूंद सो जाते है,
इसी बहाने,
एक भ्रम से दूजे सपने में
वो दोनो चेहरे खो जाते है,वो एक कमरे के दो चेहरे,
एक दूजे को देखना,कहीं भूल गए हैं।
For more such works, follow Ramta Jogi
Picture courtesy : Adobe Stock
Social Media
-
Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
Hindi Poetry: Ghar l घर l ramtajogi
वो किवाड़ों पर रंग अब नया है,
खिड़कियों में कुंडी भी लग गई।
बगीचे में बो दिए है बीज आम के,
वो खंडर सी जो थी दीवारें,
वो भी अब सज गई ।वो गांव का घर अब रहने को तैयार है ,
मगर उसमे रहने वाला नहीं रहा ।उस घर को अब जरूरत है लोगों की,
मगर उस घर की जरूरत अब रहीं कहां?Written by @ramtajogi
For more such content, scroll through Ramta Jogi
Image courtesy Art Station
-
Hindi Poetry: Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version
“Mein tumhe fir milungi”: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi version
मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
कब, कहां मालूम नहीं
शायद तुम्हारी गजलों की वजह बनकर,
तुम्हारे शेरों में नजर आऊंगी,
या तुम्हारे किस्सों का स्रोत बनकर,
तुम्हारी कहानी बन जाऊंगी।
या तुम्हारी ज़बान का लहजा बनूंगी मैं,
जिसमे तुम शेर फरमाओगे
में तुम्हें फिर मिलूंगी
कब, कहां, मालूम नहीं।मैं तुम्हारी कलम की स्याही बनूंगी शायद,
और तुम्हारे पन्नों पर उतर जाऊंगी ।
या तुम्हारी मेज पर रखी किताब का,
हर एक पन्ना बन जाऊंगी ।
तुम लिखोगे मुझे, मुझमें
में तुम्हारे हर शब्द की लिखावट बन जाऊंगी ।
मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
कब, कहां मालूम नहींऔर कुछ मालूम न हो,
मगर ये जानती हूं मैं,
मैं तुम्हारे खयालों का वो अंश हूं,
जिस से तुमने एक उम्मीद बांधी है,
दर्द की,
मैं वो दर्द बन, तुम में रह जाऊंगी कहीं,
तुम्हारी हर एक लिखाई के अंत का,
एक अल्प विराम बन जाऊंगी मैं,
जो तुम्हें महसूस करवा दे,
की
मुझे लिख तो चुके हो तुम,
मगर मैं कहानी आज भी अधूरी हुं,
तुम्हारे लिए,
मैं तुम्हें फिर मिलूंगी,
कब, कहां मालूम नहीं@ramtajogi
For more such works, visit Ramta Jogi
Poetry inspired from Amrita Pritams’ Me tenu fir milangi
Mein tumhe fir milungi: Amrita Pritam’s: Ramta Jogi