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POETRY

Hindi Poetry – ये शाम मस्तानी – An Evening to Remember l Nostalgia l Memories l Love

ये शाम मस्तानी – An Evening to Remember l Nostalgia l Memories

वो मद्धम सी रोशनी से,
सजी सर्द सांजे,
वो घरौंदे में अपने,
एक महफिल सजाना,

वो अलाव के चारों ओर,
जाम थामे,
वो रंगीन चिरागों का,
झूमर लगाना,
वो अपनों का अपनों के,
करीब आकर,
वो गिले शिकवों को याद कराना,
फिर, ढलते सूरज की तरह, जसबात ढालके

भूलाने के उनको, वो वादे करना,
बीत गया एक अरसा,
जो बिन मिले,
उस अरसे को,
कुछ घंटों में,
फिर हासिल करना,

लगें है सब,
दिल के प्यालों को भरने,
अपनी यादों को,
जाम से बयान करने,

वो छठ पर बैठे,
मोर का कुहकना,
वो धीमी सी धुन पर,
कोई गीत बजाना,

वो सुनाऊं मैं तुमको,
अपनी कोई शायरी,
सुनके उसे तुम,
मेरा कोई शेर गुन गुनाना,
क्या चाइए हमे इस से बेहतर कोई शामें,
जहां हम तुम,
यूंही,
एक गजल हो जाएं ।

By Ramta Jogi

Image Courtesy: Stock Photos

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