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    POETRY

    Hindi Poetry: बेवफाई :Infidelity: The Shade of Love

    Hindi Poetry: बेवफाई: Infidelity

    हो वजह से ये,
    तो फिर फरेब क्यों?
    जो हो बे वजह,
    तो फिर इसकी सज़ा है क्या?
    नैनों में भरे, जो कोई इश्क की नजर,
    और लभों पर हो, किसी और रिश्ते की ज़बान,
    इस एक काया में इंसान की,
    जो हर एक अंग करे, अपना फैसला,
    तो फिर एक रिश्ता हो स्वीकार क्यों?
    और दूजा रहे क्यों गुमशुदा?

    अगर बात हो जज़्बात की,
    इश्क के हालत की,
    डोर ७ फेरों की,
    जब नर्म सी पड़ जाए,
    एक दूजे के भीतर जब,
    एक दूजा न मिल पाए,
    होठों की हसी से हटकर,
    लकीरें, चेहरे की शिकन बन जाए,
    बिस्तर पर न हो सिलव्वतें कोई,
    चादर भी जब कोई कहानी न कह पाए
    बहक जाने की नीव जब,
    घर के भीतर ही रख दी जाए,
    तो बेवफाई पर हो एतराज क्यों?
    और रहे जो कोई वफादार,
    तो फिर इसकी वजह है क्या?

    वफा जब एक इश्क पर,
    सीमित न रह पाए,
    आशिकी की गलियों में,
    जब बे वजह टहला जाए,
    डोर में पुरानी गांठ खोले बिन,
    कई नए धागे जोड़े जाएं
    न हो राबता किसी एक हुस्न, जिस्म या रूह से,
    वास्ता मगर हर चेहरे से किया जाए,
    जब दिल के कमरों से होकर,
    घर का रास्ता न मिल पाए,
    हर मुंडेर पर जब,
    किराए के मकानों में रहना ही समझ आए,

    इस स्वभाव से फिर हो लगाव क्यों?
    और हो कोई सजा इसकी, तो गलत है क्या?

    बे वफाई के नियम तय करें कौन?
    वफा के कसीदे कौन समझाए?
    जब रिश्तों की मर्यादा लांघे बिन,
    सोच में कोई और समा जाए ।

    वजह तो होगी बहोत सी उसके पास,
    मगर क्या किसी वजह को समझा जाए ?

    बात जसबतों की जब होती है,
    रिश्ते रहते है महफूज नजरों में सभी के,
    मगर आंखें कुछ और कहती हैं ।

    जिसको जो समझ आता है,
    वो अपने नियम बनाता है,

    हो कोई इंसान सच्चा अगर,
    तो एक रिश्ते को चलाने में ही,
    वो उम्र भर टूट जाता है ।

    Written by @ramtajogi

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