POETRY

Poems- Poetry- Hindi - English Life never rhymes, but poetry does. It soothes our hearts. Sometimes medicine and sometimes a meditation; poetry never fails to impress. This segment comprises of poetry by Ramta Jogi. It deals with Hindi and English languages Check out my other pages

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    POETRY

    KAHANIYAAN

    Hindi Poem KAHANIYAAN by Ramta Jogi:

    वो शब्दों की जुस्तजू
    वो असमंजस में पल रहे स्वप्न
    वो कलम एक चहीती सी ,
    वो खाली पन्नो से जंग
    वो किरदार अनेक
    उनके किस्से अनंत
    चलते गिरते संभलते वो
    अपने ख्यालों में जीते मरते वो
    हर किरदार एक मोती है , मेरी डोर का
    एक मोती को दुझे मोती से जोड़कर ,
    एक माला सजाता हूँ में
    भांत भांत के है ये मोती ,
    अक्सर एक दुझे से मिलकर खिल जाते है ,
    और कभी बेरुखी भरे चेहरों से इनकी चमक घट जाती है
    हर मोती की एक अलग चाह है, एक अलग राह है ,
    एक सोच है
    एक माला में बंध कर ,
    ये मोती दुझे मोतियों के संग,
    अपना किरदार निभा रहा है .
    मेरी कहानियों में वो अपनी कहानी बना रहा है

    रमता जोगी

    For more Hindi Poem, visit Ramta Jogi

     



  • POETRY

    The Green Revolution

    Hindi Poem on global warming.

    मेरे बच्चों के गुलक्क में भर के रखी है ताजी हवा,
    तिजोरियों में रखे है, भरे पानी के बर्तन,
    वो बक्सों में फूल और पत्ते सजा दिए हैं,
    सुंदर नज़ारे कैद है, कैमरों के भीतर,

    इन आज की यादों को समेट रहे हैं उस कल के लिए,
    क्यों की उस कल के लिए ज़रूरी वो,
    जो उस कल में होगा नहीं l

    रमता जोगी

  • POETRY

    J.N.U.

    Views on JNU Incident

    मैं ना-समज ही सही ,
    मगर बुज़दिली में भी, समझदारी नहीं !!

    होंगे कुछ गुन्हेगार वहां,
    मैं नहीं जानता !!
    जानता हूँ मैं मगर ,
    वहां बे -कसूर ज़रूर थे,

    आवाज़ उठाने की ,
    थी उन्हें आज़ादी ,
    ऐसा सुना था मैने,
    मगर ,
    आवाज़ दबाने की ,
    दावेदारी नहीं थी तुम्हारी ,
    ऐसा पढ़ा था मैने

    डंडे बरसाए तुमने ,
    घर तोड़े !!
    विद्या के आँगन में ,
    समझदारी के नियम तोड़े !!

    मैं मानता था तुम्हे ,
    सच्ची नहीं मगर अच्छी सरकार ,
    न लोगों के ख़याल सुने !!
    मैंने इस लिए न पढ़े अख़बार ,

    मगर खून से लतपत चेहरे ,
    वो रोते हुए घाव गहरे ,
    वो सहमी डरी आवाज़ ,
    वो आज़ादी खोने का आभास ,
    मुझे समज आ गया ,
    सच क्या है ,

    मैं नासमज ही सही ,
    मगर ये ज़रूर समज चूका हूँ ,

    होंगे कुछ गुन्हेगार वहां ,
    मैं नहीं जानता,
    मगर ये जान चूका हूँ ,
    जो बहार से अंदर गए थे ,
    वो सबसे बड़े गुन्हेगार थे

    (This Poem is on the mob thrashing that happened in JNU campus)

    By Ramta Jogi

  • POETRY

    Hindi Poem- Nazariya

    मुझे तुम अब वैसी नहीं लगती ,
    जैसी पहले लगा करती थी ,

    आवाज़ भारी, बातें गहरी हो गई है
    चेहरे की रौनक , लिबासों में खो गई है

    सुना है ,
    २-४ सफ़ेद बालों ने भी ,
    सर पर तुम्हारे ,घेरा कर दिया है ,

    ज़िन्दगी की झुंझलाहट नें तुम्हारे आस पास ,
    बस उमीदों का पहरा जड़ दिया है

    बीच रात उठ , कुछ सोचने लगती हो अब अक्सर ,
    सुख भरी नींद ने भी तुमसे किनारा कर लिया है

    अब बातों पे तुम्हारी हसीं तो आती है
    मगर भीतर एक दर्द भी होता है
    एक वक़्त जो हुआ करता है
    अब वो सुकून ना हमें भिगोता है ,

    एक ज़माने में पागल था मैं तुम पर ,
    वो ज़माने की याद अब अच्छी नहीं लगती ,

    जैसी पहले लगा करती थी,
    तुम अब मुझे वैसी नहीं लगती

    तुम बल्कि अब मेरी हर शाम का एक जाम हो ,
    उस पुरानी शराब का ,
    जो सदियों से ज़मीन तले दबी थी ,

    और अब हर एक जाम में ,
    सदियों का नशा देती है।

    रमता जोगी ।

  • POETRY

    Poem: वो जाता

    वो जाता तो मुझको बता कर के जाता
    नज़रों से नज़रें मिला कर के जाता
    जो होता खफा, तो मना के जाता
    दूरियों को सारी, वो मिटा कर के जाता
    अधूरे किस्सों की डोर को थामे ,
    वो कहानियों को मेरी सारी ख़त्म कर के जाता

    मगर यूँ तो हुआ नहीं ,
    लगता है दूर वो गया नहीं

    क्यों की ,

    उससे खफा में आज भी ,
    दूरियां भी अब तक वहीँ है
    किस्से हुए पुराने मगर ,
    कहानियां अब तक अधूरी है

    ज़हन में रहता है वो मगर,
    हकीकत से उसकी कुछ तो बेरुखी है
    तड़प रहा है
    तड़पा रहा है
    इश्क़ है वो,
    उसकी भी ये मजबूरी है

    Ramta Jogi

    Comments Off on Poem: वो जाता
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