Poem: वो जाता
वो जाता तो मुझको बता कर के जाता
नज़रों से नज़रें मिला कर के जाता
जो होता खफा, तो मना के जाता
दूरियों को सारी, वो मिटा कर के जाता
अधूरे किस्सों की डोर को थामे ,
वो कहानियों को मेरी सारी ख़त्म कर के जाता
मगर यूँ तो हुआ नहीं ,
लगता है दूर वो गया नहीं
क्यों की ,
उससे खफा में आज भी ,
दूरियां भी अब तक वहीँ है
किस्से हुए पुराने मगर ,
कहानियां अब तक अधूरी है
ज़हन में रहता है वो मगर,
हकीकत से उसकी कुछ तो बेरुखी है
तड़प रहा है
तड़पा रहा है
इश्क़ है वो,
उसकी भी ये मजबूरी है
Ramta Jogi