Hindi Poem – दोस्ती | The pinnacle of Friendship
Hindi Poem – दोस्ती | The pinnacle of Friendship
मुझसे खफा तो होती है वो अक्सर,
दिखाती आंखों से, मगर
ज़बान तक लाती नहीं ।
हक से निभाती है साथ वो,
लफ्जों से कभी बताती नहीं ।
परिवार सा रखती है ध्यान,
अकेले पड़ जाऊं कभी तो,
और भीड़ में शरारत भी करती है ऐसे,
की कमी दुश्मनों की दिलाती नहीं ।
रिश्तों का परिमाण है वो,
उस से बेहतर दोस्ती,
मैंने मापी नहीं ।
Written by @ramtajogi
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Image Courtesy: Anime
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