Seema | सीमा – Boundaries in a Relationship
Seema | सीमा – Boundaries in a Relationship
हर रिश्ते की सीमा क्या है?
लक्ष्मण रेखा इसकी कौन धरे?
किस लकीर तक हम सीमित हो?
किस रेखा को वो ना पार करे?
हर रिश्ते की सीमा क्या है?
अपनेपन की प्रीत नेक है,
मगर प्रीत सही वो,
जो सही जाए।
मेरी हद मैं जानु,
तेरी हद तु जाने,
मगर उनके बीच हो कितना फासला?
वो कैसे तय किया जाए?
हर रिश्ते की सीमा क्या है?
सोच गलत भले न हो,
हाव भाव की बात है,
सही गलत का फैसला,
सबके अपने खयालात है।
धागा बुनो जैसा रिश्तों का,
रिश्ते वैसे ही नजर आएंगे,
सीमा तय होगी,
जो दोनों तरफ से,
तो रिश्ते लंबे चलते जायेंगे ।
@ramtajogi
For such Poetry, click Ramta Jogi Poetry
For a good read, Subscribe, Ramta Jogi