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    POETRY

    आंसू : Tears: Hindi Poetry on Love, Relations and Sorry

    आंसू : Tears: Hindi Poetry on Love, Relations and Sorry

    Tumhare girte aansu agar mein dekh leta,
    To mein ro deta.
    Vo ashq Jo meri wajah se,
    Teri aankhon se chalke honge,
    Unhe mujhse kitne gile shikve honge.
    Ek jhapki mein jab vo palkon se lipte honge,
    Nam ho gayi hogi vo palkein bhi,
    Itni mayusi se mere kisse jo use kahe honge.
    Girte girte jab vo tere chehre se takrayein honge,
    Hasi cheen li hogi unhone,
    Aur sun kar vajah, vo hoth bhi murjayein honge.
    Tumhare is dhalte chehre ko agar mein dekh leta,
    To mein ro deta.

    Kyu ki
    Aansu rishton ki vo kamayi hai,
    Jo aankhon mein sirf apno ke liye samayi hai,
    Aur tumhara Dil tod kar agar ye kamayi mein kharch kar deta,
    To mein ro deta.
    Is khayal ko mein apni soch me agar panapne deta,
    To mein ro deta.

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    Hindi Poetry – ये शाम मस्तानी – An Evening to Remember l Nostalgia l Memories l Love

    ये शाम मस्तानी – An Evening to Remember l Nostalgia l Memories

    वो मद्धम सी रोशनी से,
    सजी सर्द सांजे,
    वो घरौंदे में अपने,
    एक महफिल सजाना,

    वो अलाव के चारों ओर,
    जाम थामे,
    वो रंगीन चिरागों का,
    झूमर लगाना,
    वो अपनों का अपनों के,
    करीब आकर,
    वो गिले शिकवों को याद कराना,
    फिर, ढलते सूरज की तरह, जसबात ढालके

    भूलाने के उनको, वो वादे करना,
    बीत गया एक अरसा,
    जो बिन मिले,
    उस अरसे को,
    कुछ घंटों में,
    फिर हासिल करना,

    लगें है सब,
    दिल के प्यालों को भरने,
    अपनी यादों को,
    जाम से बयान करने,

    वो छठ पर बैठे,
    मोर का कुहकना,
    वो धीमी सी धुन पर,
    कोई गीत बजाना,

    वो सुनाऊं मैं तुमको,
    अपनी कोई शायरी,
    सुनके उसे तुम,
    मेरा कोई शेर गुन गुनाना,
    क्या चाइए हमे इस से बेहतर कोई शामें,
    जहां हम तुम,
    यूंही,
    एक गजल हो जाएं ।

    By Ramta Jogi

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    Hindi Poetry: बेवफाई :Infidelity: The Shade of Love

    Hindi Poetry: बेवफाई: Infidelity

    हो वजह से ये,
    तो फिर फरेब क्यों?
    जो हो बे वजह,
    तो फिर इसकी सज़ा है क्या?
    नैनों में भरे, जो कोई इश्क की नजर,
    और लभों पर हो, किसी और रिश्ते की ज़बान,
    इस एक काया में इंसान की,
    जो हर एक अंग करे, अपना फैसला,
    तो फिर एक रिश्ता हो स्वीकार क्यों?
    और दूजा रहे क्यों गुमशुदा?

    अगर बात हो जज़्बात की,
    इश्क के हालत की,
    डोर ७ फेरों की,
    जब नर्म सी पड़ जाए,
    एक दूजे के भीतर जब,
    एक दूजा न मिल पाए,
    होठों की हसी से हटकर,
    लकीरें, चेहरे की शिकन बन जाए,
    बिस्तर पर न हो सिलव्वतें कोई,
    चादर भी जब कोई कहानी न कह पाए
    बहक जाने की नीव जब,
    घर के भीतर ही रख दी जाए,
    तो बेवफाई पर हो एतराज क्यों?
    और रहे जो कोई वफादार,
    तो फिर इसकी वजह है क्या?

    वफा जब एक इश्क पर,
    सीमित न रह पाए,
    आशिकी की गलियों में,
    जब बे वजह टहला जाए,
    डोर में पुरानी गांठ खोले बिन,
    कई नए धागे जोड़े जाएं
    न हो राबता किसी एक हुस्न, जिस्म या रूह से,
    वास्ता मगर हर चेहरे से किया जाए,
    जब दिल के कमरों से होकर,
    घर का रास्ता न मिल पाए,
    हर मुंडेर पर जब,
    किराए के मकानों में रहना ही समझ आए,

    इस स्वभाव से फिर हो लगाव क्यों?
    और हो कोई सजा इसकी, तो गलत है क्या?

    बे वफाई के नियम तय करें कौन?
    वफा के कसीदे कौन समझाए?
    जब रिश्तों की मर्यादा लांघे बिन,
    सोच में कोई और समा जाए ।

    वजह तो होगी बहोत सी उसके पास,
    मगर क्या किसी वजह को समझा जाए ?

    बात जसबतों की जब होती है,
    रिश्ते रहते है महफूज नजरों में सभी के,
    मगर आंखें कुछ और कहती हैं ।

    जिसको जो समझ आता है,
    वो अपने नियम बनाता है,

    हो कोई इंसान सच्चा अगर,
    तो एक रिश्ते को चलाने में ही,
    वो उम्र भर टूट जाता है ।

    Written by @ramtajogi

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  • Ishq Be-parwah
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    Hindi Poetry: Ishq Be-parwah: ramtajogi.co.in

    Ishq Be-parwah

    प्यार खुल कर वो दिखाता नहीं है,
    और अपने अंदर छुपाता भी नहीं है

    शायरी लिख, करता है तारीफ मेरी,
    आंखों से मगर जता ता भी नहीं है।

    बिन मौसम बारिश सा है, महबूब मेरा,
    धूप में बरसता है, भिगाता भी नहीं है ।

    खयाल में हूं में उसके,
    ये तो मालूम हैं मुझे,

    इश्क को ख्याल में ही रखता है,
    हकीकत में लाता भी नहीं है ।

    प्यार खुल कर वो दिखाता नहीं है,
    और अपने अंदर छुपाता भी नहीं है

    Written by @ramtajogi

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    Aakhein aur Kitaab (Literature and Love)

    जो झुके वो नजर,
    तो हया की शायरी कहे,

    जो उठे,
    तो वो खुदा की गजल बन जाए ।

    जो हस पड़ें वो नजरें कहीं,
    तो खुशी के कसीदे सुनाए,

    और जो रो पड़े,
    तो वो इश्क का शेर बन जाए ।

    हर एक अदा,
    उसकी आंखों की,
    एक कहानी सी कहती है,

    उसके आशिक ने सच ही कहा था,
    उसकी आंखें,
    किताब सी है ।

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